Wednesday, 13 February 2019

hypothyroidism treatment in ayurveda

हाइपोथायरायडिज्म का आयुर्वेदिक उपचार

जैसा की आप सभी जानते हैं थायरॉयड ग्रंथि हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो हमारे शरीर को बेहतर कार्य करने में मदद करती हैं। इस ग्रंथि द्वारे निष्पादित किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की सूची में, हमारे शरीर द्वारा ऊर्जा के उपयोग को नियंत्रित करना, शरीर के कामकाज के लिए प्रोटीन बनाना और चयापचय दर का विनियमन करना यह कुछ नाम शामिल हैं।

हाइपोथायरायडिज्म तब होता हैं, जब हमारे शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होती हैं - एक परिस्थिती जिसमें थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म के तरफ लापरवाही से नही बरतनी चाहिए, और इसलिये इसका जितना जल्दी संभव हो इलज करना जरूरी है हाइपोथायरायडिज्म के लिए उपचारों में आयुर्वेदिक इलाज एक उपचार है। चलों हम इस उपचार के विकल्प को विस्तार से जानते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोग थकान और हार्मोनल असंतुलन से पीड़ित होते हैं। अगर वे खुद को पूरी तरह से ठीक करना चाहते हैं तो उनको अपने आहार पे और उनके दवाईंयों पे ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती हैं। आयुर्वेद निम्नलिfखित भी कहता हैं –

हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को दूध का उपभोग करना चाहिए।
हाइपोथायरायडिज्म के उपचार में सहायता के लिए इन लोगों को कुछ विशिष्ट सब्जियां जैसे ककडी बडी मात्रा में खाने को भी कहा जाता हैं।
मूंग की दाल और चने की दाल की तरह दलहन हाइपोथायरायडिज्म के उपचार में मदद करते हैं।
चावल और जौ खाए।
योग थायरॉयड ग्रंथि को स्थिर करने में मदद करता है। सर्वांगासन और सुर्यनमस्कार जैसे विभिन्न आसन थायरॉयड ग्रंथि को पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पान करने में मदद करते हैं।
थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन करने में प्राणायाम थायरॉयड ग्रंथि को मदद करता है।
गोक्षुरा, ब्राम्ही,जटामासी,पुनरवना जैसी कई जड़ी बूटियाँ हाइपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग की जाती हैं।
आयोडीन की कमी के कारण हाइपोथायरायडिज्म होता हैं। आयोडीन की उच्च मात्रा होनें वाले खाद्य पदार्थ खाने सें इस हालत में सुधार होने में मदद मिलेगी।
हायपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा के साथ भी इलाज किया जाता हैं।

उचित उपचार और एक उचित आहार के साथ नियमित रूप से व्यायाम की मदद के साथ हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोग जल्दी ठीक हो सकते हैं। आपकी थायरॉयड ग्रंथि आपके एक स्वस्थ लंबे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, यह हमेशा याद रखें। हाइपोथायरायडिज्म सबसे आम बिमारी है और शुक्र है की इसपर कई उपचार उपलब्ध हैं ।

हालांकि, इस हालत का समय में इलाज किया जाना जाना उतना ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस समस्या के उपचार में विफलता आने से व्यक्ति में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताऐं विकसित हो सकती हैं।

अपने उपचार के अच्छे परिणाम मिलने के लिए अपने आप की अच्छी देखभाल करना याद रखे। अपने उपचार पर भरोसा रखे और आपके डाँक्टर दिये निर्देषो का पालन करे, जिससे आप एक लंबे समय तक आनंदमय और स्वास्थ्यमय जिवन बिता सकते हैं।

हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज व योग के अलावा समय-समय पर थायराइड की जांच इस बीमारी को रोकने में काफी मदद करती है। थायराइड और इसका उपचार आमतौर पर शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और शरीर को रोगों और संक्रमण से लड़ने की ताकत खो जाती है। इसलिए, यह जरूरी है कि पौष्टिक भोजन किया जाए।

थायराइड में कौन-कौन से फल ना खाएं-

इस बीमारी से बचाव के लिए जामुन, कीवी, चेरी, खट्टे फल, पपीता, आम, प्लम और लाल अंगूर जरूर खाएं। ये फल बीमारी से तो दूर रखते ही हैं साथ ही आपके एम्यूजन सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को भी मजबूत बनाते हैं। इन फलों में विटामिन सी, बीटा कैरोटीन फाइबर आदि प्रचुर मात्रा में होता है।

थायराइड रोग के लिए आहार में फल एवं सब्जियां, मछली, साबुत अनाज, अंडा, फलियां और सेम नियमित रूप से लेना चाहिए। साथ ही थायराइड की दवा की सही खुराक भी लेनी जरूरी है। कम से कम हर 6 महीने में जांच करवाएं। नियमित रूप से सक्रिय रहें क्योंकि शारीरिक गतिविधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है अगर आप हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हैं। रोज कम से कम 30-45 मिनट का व्यायाम जरूर करें। एक दिन में केवल 10 मिनट की नियमित शारीरिक गतिविधि से भी मदद मिलेगी। साथ ही आपके शरीर की जरूरतों को जानें। थाइरोइड में केला फायदेमंद होता है। एक हफ्ते में 2-3 बार तक इन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

1 comment:

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